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सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए FDI नीति में संशोधन कर 100% FDI को दी मंजूरी

FDI नीति में संशोधन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा निर्धारित आत्मनिर्भर भारत विज़न को साकार करने के लिए किया गया है. FDI नीति में सुधार देश में कारोबार में सुगमता बढ़ाएगा, जिससे FDI प्रवाह बढ़ेगा और इस प्रकार यह निवेश, आय और रोजगार में वृद्धि में योगदान देगा.

सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए FDI नीति में संशोधन कर 100% FDI को दी मंजूरी

Thursday February 22, 2024 , 3 min Read

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI in Space Sector) नीति में संशोधन को मंजूरी प्रदान की है. अब, उपग्रह उप-क्षेत्र को ऐसे प्रत्येक क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए परिभाषित सीमाओं के साथ तीन अलग-अलग गतिविधियों में विभाजित किया गया है.

भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 (Indian Space Policy 2023) को संवर्धित निजी भागीदारी के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत के सामर्थ्‍य का पता लगाने के विजन को लागू करने के लिए एक व्यापक, समग्र और गतिशील ढांचे के रूप में अधिसूचित किया गया था. उक्त नीति का उद्देश्य अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाना; अंतरिक्ष में सफल व्यावसायिक उपस्थिति विकसित करना; अंतरिक्ष का उपयोग टेक्नोलॉजी विकास के चालक के रूप में करना और संबद्ध क्षेत्रों में लाभ प्राप्त करना; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को आगे बढ़ाना और सभी हितधारकों के बीच अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए इकोसिस्‍टम तैयार करना है.

मौजूदा एफडीआई नीति के अनुसार, उपग्रहों की स्थापना और प्रचालन में केवल सरकारी अनुमोदन के मार्ग के जरिए ही एफडीआई की अनुमति है. भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के अंतर्गत विजन और रणनीति के अनुरूप, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विभिन्न उप-क्षेत्रों/गतिविधियों के लिए उदारीकृत एफडीआई सीमाएं निर्धारित करके अंतरिक्ष क्षेत्र के संबंध में एफडीआई नीति को आसान बना दिया है.

अंतरिक्ष विभाग ने IN-SPACe, ISRO और NSIL जैसे आंतरिक हितधारकों के साथ-साथ कई औद्योगिक हितधारकों के साथ परामर्श किया है. एनजीई ने उपग्रहों और प्रक्षेपण यानों के क्षेत्र में क्षमताएं और विशेषज्ञता विकसित की है. निवेश बढ़ने से वे उत्पादों की विशेषज्ञता, प्रचालन के वैश्विक पैमाने और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में बढ़ी हुई हिस्सेदारी हासिल करने में सक्षम होंगे.

प्रस्तावित सुधार उदारीकृत प्रवेश मार्ग निर्धारित करके तथा उपग्रहों, प्रक्षेपण यानों और संबंधित प्रणालियों या उप प्रणालियों में एफडीआई के लिए स्पष्टता प्रदान करके, अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित और रिसीव करने के लिए स्पेसपोर्ट का निर्माण और अंतरिक्ष से संबंधित घटकों और प्रणालियों के निर्माण द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र में एफडीआई नीति प्रावधानों को उदार बनाने का प्रयास है.

संशोधित एफडीआई नीति के अंतर्गत अंतरिक्ष क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है. संशोधित नीति के अंतर्गत उदारीकृत प्रवेश मार्गों का उद्देश्य संभावित निवेशकों को अंतरिक्ष में भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए आकर्षित करना है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित संशोधित एफडीआई नीति के अनुसार, भारत ने अब उपग्रह-विनिर्माण और संचालन, उपग्रह डेटा उत्पादों और जमीन और उपयोगकर्ता क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग के तहत 74% तक एफडीआई की अनुमति दी है. इस सीमा से अधिक इन क्षेत्रों में एफडीआई के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी.

लॉन्च वाहनों और संबंधित प्रणालियों या उप प्रणालियों, अंतरिक्ष यान को लॉन्च करने और प्राप्त करने के लिए स्पेसपोर्ट के निर्माण के लिए स्वचालित मार्ग के माध्यम से 49% तक एफडीआई की अनुमति है. 49% से अधिक, इन गतिविधियों में FDI के लिए सरकार की मंजूरी की आवश्यकता होगी.

इसके अलावा उपग्रहों, जमीन और उपयोगकर्ता खंडों के लिए घटकों और प्रणालियों/उप-प्रणालियों के निर्माण के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक विदेशी निवेश की अनुमति है.

निजी क्षेत्र की इस बढ़ी हुई सहभागिता से रोजगार सृजन, आधुनिक टेक्नोलॉजी को आत्मसात करने और क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी. इससे भारतीय कंपनियों को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत किए जाने की संभावना है. इससे कंपनियां सरकार की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को विधिवत प्रोत्साहित करते हुए देश के भीतर अपनी विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने में सक्षम होंगी.